रूस द्वारा तालिबान सरकार को मान्यता: 2021 में अमेरिका की वापसी के बाद अफगानिस्तान में तालिबान की सत्ता में वापसी ने पूरे विश्व को चौंका दिया था. कई देशों ने तालिबान के अधिग्रहण के बाद अफगानिस्तान की नई सरकार से दूरी बना ली थी और अब तक उसे औपचारिक मान्यता नहीं दी थी. लेकिन अब रूस ने एक बड़ा कदम उठाते हुए तालिबान की सरकार को आधिकारिक मान्यता प्रदान कर दी है. यह केवल कूटनीतिक फैसला नहीं है, बल्कि मध्य एशिया और वैश्विक राजनीति में संतुलन को प्रभावित करने वाला निर्णय है।
क्या रूस अकेला है?
अब तक दुनिया के अधिकतर देश तालिबान को मान्यता देने से बचते आए हैं. संयुक्त राष्ट्र समेत अमेरिका, भारत, यूरोपीय यूनियन और जापान जैसे प्रमुख देश अभी भी तालिबान सरकार को मान्यता नहीं देते. भारत, पाकिस्तान, चीन, ईरान और तुर्की जैसे कुछ देशों ने तालिबान से बातचीत जरूर की है, लेकिन औपचारिक मान्यता नहीं दी है. रूस पहला ऐसा G20 सदस्य देश है जिसने इस कदम को सार्वजनिक रूप से स्वीकार किया है।
भारत के लिए इसका क्या अर्थ है?
रूस और भारत के संबंध पारंपरिक रूप से मजबूत रहे हैं. लेकिन रूस के इस कदम से भारत के लिए कूटनीतिक संतुलन बनाए रखना चुनौतीपूर्ण हो सकता है. भारत ने अफगानिस्तान में शिक्षा, स्वास्थ्य और इंफ्रास्ट्रक्चर में कई अरब डॉलर का निवेश किया है, लेकिन तालिबान की सत्ता में आने के बाद भारत ने कोई औपचारिक संबंध नहीं बनाए. रूस का यह निर्णय भारत पर दबाव बना सकता है कि वह भी अफगानिस्तान पर अपनी नीति स्पष्ट करे।
आगे क्या?
रूस की इस मान्यता से तालिबान को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक नई वैधता मिल सकती है. यदि अन्य देश भी रूस के इस कदम का अनुसरण करते हैं, तो तालिबान की सरकार को और मजबूती मिलेगी।
Post a comment