दुनिया के शीर्ष 5 देशों के पास हैं Rare Earth Materials के सबसे बड़े भंडार – जानिए कौन है नंबर वन!

Rare Earth Materials Mining

आज की आधुनिक दुनिया में Rare Earth Elements (REEs) यानी दुर्लभ पृथ्वी तत्व किसी भी देश की तकनीकी और औद्योगिक शक्ति की रीढ़ बन चुके हैं. स्मार्टफोन से लेकर electric vehicles, wind turbines से लेकर military systems हर जगह इनका इस्तेमाल होता है. लेकिन ये तत्व इतने आसानी से नहीं मिलते. दुनिया के कुछ चुनिंदा देशों के पास ही इनका बड़ा भंडार है, और यही वजह है कि global geopolitics में इनका प्रभाव बढ़ता जा रहा है।

1. चीन (China) 

चीन इस क्षेत्र में निर्विवाद रूप से नंबर वन है. देश के पास करीब 44 मिलियन मीट्रिक टन rare earth materials का अनुमानित भंडार है. इतना ही नहीं, चीन न केवल सबसे बड़ा उत्पादक है बल्कि refining और processing की क्षमता में भी पूरी दुनिया से आगे है।

Baotou (Inner Mongolia) और Sichuan जैसी जगहों पर चीन के विशाल खनन प्रोजेक्ट चलते हैं. Chinese government इस क्षेत्र को राष्ट्रीय रणनीति का हिस्सा मानती है, जिससे उसका global dominance बना हुआ है. इसलिए कहा जा सकता है कि “अगर दुनिया को tech चाहिए, तो उसे China से rare earth चाहिए।”

2. ब्राज़ील (Brazil) 

ब्राज़ील के पास लगभग 21 मिलियन मीट्रिक टन का rare earth भंडार है. हालांकि अभी इसका production स्तर चीन के मुकाबले बहुत कम है, लेकिन भविष्य में यह देश एक बड़ा खिलाड़ी बन सकता है।

ब्राज़ील के पास विशाल natural resources हैं, और सरकार अब rare earth sector में foreign investment को आकर्षित करने की दिशा में काम कर रही है. जैसे-जैसे global demand बढ़ेगी, Brazil अपने exploration और mining projects को और तेज़ करेगा।

3. भारत (India) 

भारत भी rare earth reserves के मामले में दुनिया के शीर्ष देशों में शामिल है, जिसके पास लगभग 6.9 मिलियन मीट्रिक टन का अनुमानित भंडार है. भारत के तटीय इलाकों जैसे केरल, तमिलनाडु और ओडिशा में monazite sands पाई जाती हैं, जिनमें rare earth minerals का समृद्ध स्रोत मौजूद है।

हालांकि production क्षमता अभी सीमित है, लेकिन भारत धीरे-धीरे इस दिशा में कदम बढ़ा रहा है. Indian Rare Earths Limited (IREL) जैसी कंपनियाँ refining और separation technology पर काम कर रही हैं. यदि भारत इस क्षेत्र में value-added processing शुरू कर दे, तो यह global rare earth supply chain में एक मजबूत स्थान हासिल कर सकता है।

4. ऑस्ट्रेलिया (Australia) 

Australia के पास करीब 5.7 मिलियन मीट्रिक टन का भंडार है और यह चीन का सबसे बड़ा वैकल्पिक स्रोत माना जाता है. Western Australia और Northern Territory में rare earth projects लगातार बढ़ रहे हैं।

Lynas Corporation जैसी ऑस्ट्रेलियाई कंपनियाँ global market में एक अहम भूमिका निभा रही हैं. ऑस्ट्रेलिया की खासियत यह है कि यहाँ mining में environmental norms का भी ध्यान रखा जाता है, जिससे sustainable development संभव हो पाता है।

5. रूस (Russia) 

रूस के पास लगभग 3.8 मिलियन मीट्रिक टन का rare earth reserve है. देश में Murmansk, Yakutia और Irkutsk जैसे इलाकों में rare earth deposits मौजूद हैं. हालांकि रूस की mining और refining technology अभी चीन जितनी विकसित नहीं है, लेकिन इसके पास resources और geopolitical इच्छाशक्ति दोनों हैं।

Russia आने वाले वर्षों में अपने defense और technology sectors को मजबूत करने के लिए rare earth mining में भारी निवेश कर सकता है।

Rare Earth Elements का रणनीतिक महत्व

Rare earth elements का इस्तेमाल आज लगभग हर critical technology में होता है 

Electric vehicles में magnet और batteries

Wind turbines में generators

Smartphones, computers और अन्य electronic gadgets

Defense systems जैसे radar, missile guidance और aircraft parts

इनकी वजह से rare earth materials को “21वीं सदी का तेल” कहा जाने लगा है। जो देश इन पर नियंत्रण रखता है, वही भविष्य की तकनीकी दिशा तय कर सकता है।

चुनौतियाँ और भविष्य की दिशा

Rare earth mining और refining आसान नहीं है। इसमें भारी पर्यावरणीय प्रभाव होता है radioactive waste, जल प्रदूषण और भूमि क्षरण जैसी समस्याएँ सामने आती हैं. इसके अलावा refining process काफी complex और महंगी है।

दूसरी बड़ी चुनौती है supply chain dependence on China. इसलिए कई देश अब alternative sources खोजने और recycling technology विकसित करने में लगे हैं. भारत, ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका इस दिशा में सहयोग बढ़ा रहे हैं ताकि global dependency कम की जा सके।

निष्कर्ष

Rare earth materials अब किसी luxury resource की तरह नहीं, बल्कि modern civilization की अनिवार्य जरूरत बन चुके हैं. चीन इस दौड़ में सबसे आगे है, लेकिन भारत, ब्राज़ील और ऑस्ट्रेलिया जैसी emerging economies भी तेजी से इस क्षेत्र में कदम जमा रही हैं. आने वाले दशक में rare earth sector global economic power balance को नई दिशा देगा।

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