आज अमेरिका का बढ़ता राष्ट्रीय कर्ज वैश्विक चिंता का कारण बन गया है. जून 2025 तक, अमेरिका पर कुल कर्ज $36 ट्रिलियन डॉलर (लगभग ₹3,000 लाख करोड़ रुपए) से अधिक हो चुका है।
यह आंकड़ा न केवल अमेरिकी अर्थव्यवस्था के लिए गंभीर संकेत है, बल्कि इसका असर पूरी दुनिया के वित्तीय बाजारों पर भी पड़ रहा है।
कर्ज बढ़ने के मुख्य कारण
1. सैन्य खर्च – अमेरिका का सैन्य बजट दुनिया में सबसे ज्यादा है, जिससे कर्ज का बोझ बढ़ता जा रहा है।
2. महामारी के बाद राहत पैकेज – कोविड-19 के दौरान और बाद में भारी सरकारी राहत योजनाओं ने कर्ज को नई ऊंचाई दी।
3. सोशल सिक्योरिटी और स्वास्थ्य खर्च – Medicare, Medicaid और पेंशन योजनाओं का बोझ बढ़ता जा रहा है।
4. ब्याज दरों में वृद्धि – बढ़ती ब्याज दरों के कारण अब कर्ज पर ब्याज भी एक बहुत बड़ा खर्च बन चुका है।
इसका वैश्विक प्रभाव
अमेरिका की अर्थव्यवस्था वैश्विक व्यापार की रीढ़ मानी जाती है. अमेरिकी डॉलर को दुनिया की Reserve Currency का दर्जा प्राप्त है. ऐसे में अमेरिका पर बढ़ता कर्ज निम्नलिखित प्रभाव डाल सकता है:
वैश्विक शेयर बाजारों में अस्थिरता
निवेशकों का विश्वास कम होना
डॉलर की कीमत में उतार-चढ़ाव
भारत जैसी विकासशील अर्थव्यवस्थाओं पर वित्तीय दबाव
क्या अमेरिका डिफॉल्ट कर सकता है?
अभी के लिए ऐसा कोई खतरा नहीं है कि अमेरिका अपने कर्ज का भुगतान न कर सके. लेकिन जिस रफ्तार से कर्ज बढ़ रहा है, और जिस तरह से सालाना ब्याज बढ़ता जा रहा है— यह भविष्य के लिए एक गंभीर चेतावनी है।
यदि अमेरिकी सरकार जल्द कोई ठोस कदम नहीं उठाती, जैसे कि खर्च में कटौती या कर सुधार, तो यह स्थिति और भी बिगड़ सकती है।
निष्कर्ष
2025 में अमेरिका का राष्ट्रीय कर्ज एक ऐतिहासिक ऊंचाई पर पहुंच गया है — $36.2 ट्रिलियन डॉलर। यह न सिर्फ अमेरिका के लिए, बल्कि पूरी दुनिया के लिए आर्थिक खतरे की घंटी है।
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