भारत में दीपावली के पाँच दिवसीय उत्सव का समापन भाई दूज से होता है. यह दिन भाई-बहन के प्रेम, अपनापन और सुरक्षा के बंधन को मनाने का पर्व है. इस साल भाई दूज 2025 का त्योहार 23 अक्टूबर (गुरुवार) को मनाया जाएगा. इस दिन बहनें अपने भाइयों को तिलक लगाकर उनकी दीर्घायु की कामना करती हैं, और भाई अपनी बहन की रक्षा करने का वचन देते हैं।
भाई दूज को अलग-अलग राज्यों में अलग नामों से जाना जाता है जैसे उत्तर भारत में इसे भैया दूज, बंगाल में भाई फोंटा, महाराष्ट्र में भाऊ बीज, और नेपाल में भाई टीका कहा जाता है. लेकिन भाव हर जगह एक ही है भाई-बहन के रिश्ते का प्रेम और विश्वास।
पौराणिक कथाएँ और महत्व
भाई दूज का उल्लेख कई प्राचीन ग्रंथों और पुराणों में मिलता है. इस पर्व के पीछे दो प्रमुख कथाएँ मानी जाती हैं —
1. यम और यमुना की कथा
कहा जाता है कि मृत्यु के देवता यमराज अपनी बहन यमुना से मिलने उनके घर पहुँचे. यमुना ने उनका स्वागत बड़े आदर से किया, उन्हें तिलक लगाया और भोजन कराया. प्रसन्न होकर यमराज ने वरदान दिया कि इस दिन जो भाई अपनी बहन से तिलक करवाएगा, उसे यमलोक के भय से मुक्ति मिलेगी. तभी से यह परंपरा चली आ रही है कि इस दिन बहन भाई की आरती करती है और उसके दीर्घ जीवन की कामना करती है।
2. श्रीकृष्ण और सुभद्रा की कथा
एक अन्य कथा के अनुसार, भगवान कृष्ण जब नरकासुर का वध कर लौटे, तो उनकी बहन सुभद्रा ने उन्हें तिलक लगाया, आरती उतारी और मिठाइयाँ खिलाईं. तब से यह रिवाज शुरू हुआ कि बहनें अपने भाइयों की विजय, सफलता और सुख के लिए तिलक करती हैं।
इन कथाओं से यही संदेश मिलता है कि भाई-बहन का बंधन केवल रक्त संबंध नहीं, बल्कि प्रेम, आस्था और कर्तव्य का दिव्य रिश्ता है।
भाई दूज 2025 की तिथि और शुभ मुहूर्त
तारीख: 23 अक्टूबर 2025 (गुरुवार)
द्वितीया तिथि प्रारंभ: 22 अक्टूबर, शाम 7:46 बजे
द्वितीया तिथि समाप्त: 23 अक्टूबर, रात 10:16 बजे
तिलक मुहूर्त: दोपहर 12:58 बजे से 3:12 बजे तक (लगभग 2 घंटे 15 मिनट का शुभ समय)
इस समय अवधि में तिलक और पूजा का विशेष महत्व माना जाता है।
पूजा विधि और परंपराएँ
भाई दूज का उत्सव मुख्य रूप से बहन द्वारा भाई को तिलक लगाने और आरती उतारने से जुड़ा है। इसकी विधि सरल और भावनात्मक होती है —
1. सुबह स्नान और तैयारी: बहनें स्नान कर शुद्ध वस्त्र पहनती हैं और पूजा की थाली सजाती हैं।
2. पूजा थाली में रखें: रोली, चावल, दीपक, फूल, मिठाई और नारियल।
3. भाई को तिलक: बहन भाई के माथे पर तिलक लगाकर आरती उतारती है।
4. भोजन और आशीर्वाद: इसके बाद बहन भाई को पसंदीदा भोजन और मिठाई खिलाती है।
5. उपहार और शुभकामनाएँ: भाई बहन को उपहार देता है और हमेशा उसके साथ खड़े रहने का वचन लेता है।
कुछ परिवारों में कलावा बाँधने या राखी जैसे धागे बांधने की परंपरा भी होती है, जो सुरक्षा और आशीर्वाद का प्रतीक है।

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