भारत की महिलाएं और सोना
भारत में सोना सिर्फ धातु नहीं, बल्कि एक परंपरा, भाव और भविष्य की आर्थिक सुरक्षा का प्रतीक है. और जब बात आती है इस संपत्ति के स्वामित्व की, तो भारतीय महिलाएं विश्व में सबसे आगे हैं।
कुल स्वामित्व (Total Ownership):
विश्व स्वर्ण परिषद (World Gold Council) की रिपोर्ट के अनुसार, भारत की महिलाओं के पास अनुमानित 24,000 से 25000 टन सोना है, जो आभूषण के रूप में दुनिया के कुल स्वर्ण भंडार का लगभग 11% है. ये आंकड़ा संयुक्त रूप से अमरीका, जर्मनी, इटली, फ्रांस व रूस जैसी शीर्ष पांच मुल्कों की सरकारी भंडार से भी अधिक है।
रिपोर्टों के अनुसार, भारत के दक्षिणी भाग में महिलाओं के पास देश का 40 प्रतिशत सोना है, और अकेले तमिलनाडु में 28 प्रतिशत सोना है। (1)
कहीं न कहीं, भारत की महिलाओं के पास आभूषण के रूप में रखा गया सोना, आर्थिक संकट की स्थिति में देश के लिए एक सुरक्षा कवच का काम करता है।
यह क्यों है महत्वपूर्ण?
1. सांस्कृतिक महत्व
भारत में सोने को शगुन, धार्मिक परंपरा, और समाज में प्रतिष्ठा का प्रतीक माना जाता है. शादी-ब्याह, त्योहारों और परिवारिक विरासत में सोना एक प्रमुख भूमिका निभाता है।
2. निवेश का माध्यम–
महिलाओं के पास यह सोना केवल आभूषण के रूप में नहीं, बल्कि लंबी अवधि के निवेश, संकट में सहारा, और सुरक्षित संपत्ति के रूप में भी देखा जाता है।
3. आर्थिक सशक्तिकरण का स्त्रोत
बैंकों व NBFC द्वारा गोल्ड लोन की सुविधा ने महिलाओं को वित्तीय रूप से अधिक सक्षम और आत्मनिर्भर बनाया है।
निष्कर्ष:
भारत की महिलाओं के पास विश्व का सबसे अधिक व्यक्तिगत स्वर्ण भंडार है. शादी-ब्याह, त्योहारों और परिवारिक विरासत में सोना एक प्रमुख भूमिका निभाता है और भविष्य में भी निभाता रहेगा।
Post a comment